जानिए, 2025 की ताजा अमेरिकी-चीनी टैरिफ लड़ाई की पूरी कहानी। कैसे ट्रंप के फैसलों ने बदल दी वैश्विक व्यापार की दिशा, आसान भाषा और ग्राफिक्स के साथ।
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US and China Tariff war 2025 |
1️⃣ USA and China Tariff War ये सब शुरू कैसे हुआ?
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर पहले भी तनाव रहा है, लेकिन जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने, तब इस विवाद ने असली रूप लिया।
ट्रंप का आरोप था कि चीन अमेरिका के साथ व्यापार में धोखा कर रहा है।
उनका मानना था कि अमेरिका का व्यापार घाटा चीन की वजह से बढ़ रहा है।
2️⃣ ट्रंप की पहली चाल (Trump’s First Strike)
ट्रंप ने चीन से आने वाले हजारों प्रोडक्ट्स पर भारी टैक्स (टैरिफ) लगा दिए।
उनका इरादा था कि इससे चीन पर दबाव बने और अमेरिका को फायदा हो।
3️⃣ चीन की कड़ी प्रतिक्रिया (China Fights Back)
चीन भी चुप नहीं बैठा। उसने भी अमेरिका से आने वाले कई प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ा दिए:
खासकर तेल, गाड़ियाँ और कृषि से जुड़ी चीज़ें इस सूची में शामिल थीं।
चीन ने दिखा दिया कि वो बराबरी से मुकाबला कर सकता है।
4️⃣ दुनिया पर असर (Effect on the World)
यह विवाद सिर्फ अमेरिका-चीन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ गई:
- चीज़ें महंगी होने लगीं।
- नौकरियाँ कम हुईं और
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता बढ़ गई।
5️⃣ 2025 में वर्तमान स्थिति (What’s the Current Situation?)
अब जब ट्रंप फिर से राजनीति में सक्रिय हैं, उन्होंने फिर से चीन पर टैरिफ 104% तक बढ़ा दिए हैं।
चीन ने भी सख्त कदम उठाए और जवाबी टैक्स लगाए।
हालात तनावपूर्ण हैं और फिलहाल कोई समाधान सामने नहीं दिख रहा।
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Retaliatory tariffs chart US and China Tariff war 2025 |
📜 History of Tariffs in Simple Words (टैरिफ का इतिहास – एक नजर में)
टैरिफ का मतलब होता है – आयात या निर्यात की गई वस्तुओं पर लगाया गया टैक्स। इसका इतिहास बहुत पुराना है। आइए, इसे सरल बिंदुओं में समझते हैं:
🔸 प्राचीन काल:
राजाओं के समय में व्यापारी जब दूसरे राज्यों में सामान ले जाते थे, तो रास्तों और बंदरगाहों पर टैक्स लिया जाता था। इससे राज्य की आमदनी होती थी।
🔸 16वीं सदी:
जब यूरोप के देश भारत से मसाले खरीदते थे, तो उन्होंने उनपर भारी टैक्स लगा दिए, जिससे मसाले महंगे हो गए।
👉 मकसद था – सप्लाई कंट्रोल करना और ज़्यादा मुनाफा कमाना।
🔸 औद्योगिक क्रांति:
जब फैक्ट्रियाँ आईं, तो यूरोप और अमेरिका ने बाहरी सामान पर भारी टैरिफ लगाकर अपने उद्योगों को बचाया।
🔸 1947 – GATT की शुरुआत:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, GATT (General Agreement on Tariffs and Trade) बना, जिसका मकसद था दुनिया के देशों में व्यापारिक टैरिफ को कम करना।
🔸 1995 – WTO की स्थापना:
WTO यह संस्था जागतिक व्यापार के नियमों को बनती है और उसे लागू करती है।
📉 WTO की रिपोर्ट: टैरिफ वॉर का असर
🔻 अमेरिका से चीन को सामान भेजना:
2018 में 7% की गिरावट
2019 की पहली तिमाही तक 19% की गिरावट
🔻 चीन से अमेरिका भेजा गया सामान:
शुरुआत में 7% की बढ़ोतरी
लेकिन 2019 की पहली तिमाही में 13% की गिरावट
🔻 अन्य प्रभाव:
अमेरिकी निवेश में 1-2% की गिरावट
वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और डर का माहौल
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
टैरिफ अब सिर्फ एक व्यापारिक शब्द नहीं है – यह देशों के बीच शक्ति प्रदर्शन का तरीका बन चुका है।
2025 की अमेरिका-चीन टैरिफ जंग हमें यही दिखाती है कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बदल रही है, और इसका असर हम सभी की ज़िंदगी पर पड़ता है।